व्यापार क्या होगा ? व्यापार विचार , स्वतंत्र व्यवसाय , बिज़नेस,
business. व्यापार व्यवसाय
कुंडली में लग्न से दशम भाव में जो ग्रह स्थित हो , उसके गुण - स्वभाव - साधन के अनुसार जातक का व्यवसाय होता है ।
1 . यदि दशम भाव में एक से अधिक ग्रह हों तो बली ग्रह के अनुसार ।
2.यदि दशम भाव में कोई ग्रह न हो , तो दशमेश के अनुसार ।
3.दशमेश जिन ग्रहों के साथ होगा , उनके अनुसार जातक का व्यवसाय होगा ।
4.जिन ग्रहों की दशम स्थान पर दृष्टि हो , उनके अनुकूल व्यवसाय होगा ।
5.लग्नेश का भी जातक के व्यवसाय पर प्रभाव पड़ता है ।
6.जो ग्रह लग्न में स्थित हों या अपनी दृष्टि से लग्न एवं लग्नेश को प्रभावित कर रहे हों , उनके अनुसार जातक का व्यवसाय होगा ।
7.सूर्य के साथ जो ग्रह स्थित हो वह भी व्यवसाय पर प्रभाव डालता है ।
8.सब ग्रहों के साथ जो ग्रह स्थित हो , वह व्यवसाय पर प्रभाव डालता है ।
9. एकादश भाव या एकादशेश जहां स्थित हो , उस राशि की दिशा से लाभ हो ।
बुध वाणिज्य कारक ग्रह है । साझेदारी में व्यापार करना हो तो सप्तम भाव से तथा निजी व्यापार के लिए दशम भाव में विचार किया जाता है । अतः बुध , संबंधित भाव एवं भावेश की स्थिति अनुकूल होने पर व्यापार से लाभ होता है । द्वितीय भाव तथा द्वितीयेश की स्थिति अच्छी होना और भी अच्छा है । बुध का दशम भाव से संबंध व्यापार में रुचि दिलाता है । धनेश लाभ भाव में तथा लाभेश धन भाव में हो तो उत्तम व्यापार योग हो ।
1. यदि चंद्रमा से केंद्र में बुध - वृहस्पति - शुक्र यह सभी या इनमें से कोई हो ।
2. यदि बुध , शुक्र , चंद्र एक दूसरे से द्वितीयस्थ या द्वादशस्थ हों ।
3 . यदि चंद्रमा से बुध और शुक्र तीसरे - ग्यारहवें में हों तो स्वतंत्र व्यवसाय हो ।
व्यापार संबंधी कुछ अन्य सूत्र इस प्रकार हैं :
1. छठे - आठवें - बारहवें में कोई ग्रह न हो , यदि हो तो स्वराशि या उच्च राशि में हो । 2. लग्नेश एवं भाग्येश अष्टम में न हों । शनि दशम या अष्टम न हो ।
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