दांपत्य जीवन कैसा रहेगा marriage life

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दांपत्य जीवन कैसा रहेगा  marriage life

 गृहस्थी अर्थात् वैवाहिक सुख..

वैवाहिक सुख के बारे में जानने के लिए भी स्त्री - पुरुष दोनों की कुंडलियों का अध्ययन करना चाहिए

कुंडली में सातवां भाव वैवाहिक सुख से संबंधित है । अतः सातवां भाव सप्तमेश , सातवें भाव के कारक ग्रह शुक्र तथा लग्नेश का मुख्य रूप से अध्ययन करना चाहिए ।

आगे कहा गया कि अच्छे काम - संबंधों के लिए आठवां भाव राहु के प्रभाव से मुक्त होना चाहिए । इसके अतिरिक्त यदि सातवें एवं आठवें भाव कोई भी पाप ग्रह न हो , न ही किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो तथा सप्तमेश एवं अष्टमेश भी किसी कुप्रभाव में न हों ,

तो स्त्री - पुरुष दोनों में मधुरता भरे काम - संबंध होते इस विषय में दोनों की राशि मैत्री तथा दोनों की कुंडलियों में लग्नेश एवं सप्तमेश का आपस में संबंध ( मित्र - अधिमित्र - सम - शत्रु आदि ) देखकर यह पता चल सकता है कि इनकी आपस में कितनी बनती है तथा इनको गृहस्थ सुख कितना प्राप्त है ।

संबंधों को कैसे मधुर बनाएं ? में जिन स्त्री - पुरुषों की आपस में कम बनती हो , उनके संबंधों में मधुरता लाने के लिए सर्वप्रथम यह देखना होगा कि आपस में तनाव का कारण क्या है । कारण के अनुसार ही उपाय करना उचित होता है । कारण भिन्न - भिन्न प्रकार के होते हैं । कारण खोजने के लिए दोनों कुंडलियों का अध्ययन अनिवार्य है । कारण पाठकों की सुविधा के लिए कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

: 1 . दोनों कुंडलियों के राशि स्वामी ( जिस राशि में चंद्र हो - उसका स्वामी ) पंचधा मैत्री चक्रानुसार आपस में शत्रु या अभिशत्रु हों ।

2 . या अधि - शत्रु हों । दोनों कुंडलियों में पंचधा मैत्री चक्रानुसार लग्नेश एवं सप्तमेश आपस में

3. दोनों का सूर्य एक - दूसरे से दस अंश के भीतर हो । 4. दोनों का कर्क लग्न हो । दोनों में से एक का कर्क लग्न हो , तो भी कुछ हो । यदि एक कुंडली में भी ऐसा न कुछ गृहस्थ- सुख बाधा अवश्य होती है ।

5. दोनों का सप्तमेश अष्टम या द्वादश भाव हो तो भी विषय - आनंद में न्यूनता आती है । 6. दोनों कुंडलियों में सप्तम भाव में अकेला शुक्र बैठा हो । यदि एक कुंडली में भी ऐसा हो तो भी गृहस्थ - सुख में कमी होती है । यदि सप्तम भाव का स्वामी भी शुक्र ही हो तो समस्या गंभीर नहीं होती , किंतु होती अवश्य है ।

7.दोनों कुंडलियों में अष्टमेश सप्तम भाव में बैठा हो यदि एक कुंडली में भी ऐसा हो तो भी रति - सुख में बाधा होती है ।

 8 . जब वासना पूर्ति ( Sexual Enjoyment ) ही आपसी संबंधों में बिगाड़ का कारण हो , जैसे पति - पत्नी दोनों में से एक काम संतप्त है और दूसरा इस स्थिति में नहीं कि उसकी वासनापूर्ति कर सके , ऐसी स्थिति में तनाव हो जाना संभव है । यह तनाव बढ़ता जाए तो गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है । ऐसा एक प्रकार से नहीं , अनेक प्रकारों से होता है , किंतु एक बात निश्चित है कि जहां विषय भोग ही आपसी तनाव का कारण होता है , वहां कुंडली में काम वासना की तीव्रता तथा स्वभाव विषमता स्पष्ट दिखायी देती है ।

9. दोनों में से एक कुंडली में भी राहु - मंगल एवं सूर्य यदि सप्तम भाव में हो । उपाय ऊपर कुछ ऐसे है । एसी निश्चित है कि जहां विषय भोग ही आपसी तनाव का कारण होता है , वहां कुंडली में काम वासना की तीव्रता तथा स्वभाव विषमता स्पष्ट दिखायी देती है ।

9. दोनों में से एक कुंडली में भी राह मंगल एवं सूर्य यदि सप्तम भाव में हो । उपाय ऊपर कुछ ऐसे कारण दिये गये हैं , जिनसे स्त्री - पुरुष के आपसी संबंध तनावपूर्ण हो जाते हैं । अब तनावपूर्ण संबंधों को मधुर बनाने के उपाय नीचे दिये जा रहे हैं : कारण 1 का उपाय : दोनों की राशि के स्वामी जो ग्रह हों , उन ग्रहों का उपचार दान , व्रत , जपादि करने से कल्याण होता है । कारण 2 का उपायः स्त्री - पुरुष दोनों को अपने - अपने सप्तमेश ( जो ग्रह सातवें भाव का स्वामी हो ) का उपचार करवाना चाहिए । कारण 3 का उपायः स्त्री - पुरुष दोनों प्रतिदिन प्रातः सूर्य को जल दें तथा माणिक रत्न ( वजन पांच रत्ती से कम न हो ) सोने या तांबे की अंगूठी में लगवाकर अनामिका ( कनिष्ठिका - सबसे छोटी अंगुली के साथ वाली अंगुली ) में धारण करें । :

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घोड़े की नाल का छल्ला आग में तपाये बिना बनवाकर मध्यमा अंगुली में किसी शनिवार से धारण कर सदैव पहने । घोड़े की नाल शनिवार को छोड़कर अन्य किसी वार को लेवें । इसके अतिरिक्त शनि ग्रह की शांति हेतु दान , व्रत , जप आदि भी करते रहें । यदि दोनों का कर्क लग्न हो तो दोनों ही ऐसा करें ।

कारण 5 का उपाय : जिसका सप्तमेश आठवें या बारहवें भाव में हो उसे ( दोनों का हो तो दोनों को ) सप्तमेश ग्रह की शांति हेतु दान - व्रत जपादि करना चाहिए ।

कारण 6 का उपाय : जिसकी कुंडली में शुक्र अकेला सातवें घर में बैठा हो , उसे ( दोनों में हो तो दोनों को ) शुक्र ग्रह की ( यदि वह स्वयं सातवें भाव का स्वामी हो तो भी ) शांति हेतु दान - व्रत - जप करना चाहिए ।

कारण 7 का उपाय : अष्टमेश ग्रह के प्रभाव का शमन करने के लिए दान , व्रत जप आदि करना चाहिए ।

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